श्री शिवराज सिंह चौहान, माननीय केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष, ने 9 जुलाई 2024 को भा.कृ.अनु.प.-केद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सिरकॉट), मुंबई का संस्थान में चल रहे अनुसंधान और विकास कार्यक्रम की समीक्षा करने हेतु दौरा किया।
श्री चौहान ने संस्थान की विभिन्न प्रयोगशालाओं और सुविधाओं जैसे फाइबर परीक्षण प्रयोगशाला, बुनाई अनुभाग, मैकेनिकल प्रसंस्करण प्रभाग, नैनोसेल्यूलोज पायलट प्लांट, उन्नत सामग्री प्रयोगशाला, आईसीपी-एमएस और कावाबाटा सुविधाओं का दौरा किया। उन्होंने कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के आरकेवीवाई-रफ़्तार कार्यक्रम के तहत संस्थान द्वारा समर्थित कृषि-स्टार्टअप उद्यमियों के साथ भी बातचीत की।
बाद में, संस्थान के सभी कर्मचारियों को संबोधित करते हुए श्री चौहान ने भा.कृ.अनु.प.-सिरकॉट के शताब्दी वर्ष के अवसर पर कपास प्रसंस्करण और कपास बायोमास के मूल्यवर्धन में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए बधाई दी। उन्होंने नवीन प्रौद्योगिकियों और टिकाऊ प्रथाओं को विकसित करने में संस्थान के प्रयासों की भी सराहना की जिनसे कृषि क्षेत्र और किसानों सहित विभिन्न हितधारकों को उल्लेखनीय लाभ हुआ है। उन्होंने कपास अनुसंधान और विकास में भा.कृ.अनु.प.-सिरकॉट को अग्रणी के रूप में स्थापित करने में शोधकर्ताओं और कर्मचारियों के समर्पण और कड़ी मेहनत की प्रशंसा की। संबोधन के दौरान, उन्होंने टीम को अपना उत्कृष्ट कार्य जारी रखने और कपास प्रसंस्करण और बायोमास उपयोग में और प्रगति हेतु प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके लिए उन्होंने अगले पांच वर्षों के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करने के लिए वैज्ञानिकों के साथ-साथ विभिन्न हितधारकों और किसानों को शामिल करते हुए एक समिति गठित करके विचार-मंथन करने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि आने वाली सदी में संस्थान नई ऊंचाइयां हासिल कर सके। उन्होंने यह कार्य शताब्दी पूरी होने तक कर लेने का निर्देश दिया।
इससे पहले, डॉ. एस.के. शुक्ल, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-सिरकॉट, मुंबई ने मंत्री का स्वागत किया और संस्थान की समग्र उपलब्धियों को प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने राजस्व सृजन, उद्योग सहकार्य, इनक्युबेशन और स्टार्टअप के लिए समर्थन, प्रशिक्षण और विस्तार गतिविधियों में संस्थान की विशेष सफलता को बताया। उन्होंने संस्थान द्वारा कई आवश्यक प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं को विकसित करके जिनिंग उद्योग को प्रदान की गई महत्वपूर्ण सेवा का उल्लेख किया, जिससे न केवल भारतीय जिनिंग उद्योग को बल्कि वैश्विक उद्योग को भी लाभ हुआ है। उन्होंने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में नवाचार को बढ़ावा देने, वैज्ञानिक ज्ञान को आगे बढ़ाने और तकनीकी प्रगति के माध्यम से देश में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए संस्थान को विश्व स्तरीय अनुसंधान सुविधा बनाने हेतु बुनियादी ढांचे को उन्नत करने का प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर " भा.कृ.अनु.प.-सिरकॉट 2024 की झलक" पर एक पुस्तिका जारी की गई।
डॉ. के. नरसैया, सहायक महानिदेशक (प्रक्रिया इंजीनियरिंग), भा.कृ.अनु.प., नई दिल्ली ने भा.कृ.अनु.प.-सिरकॉट, मुंबई के योगदान के बारे में जानकारी दी। डॉ. सी.एन. रविशंकर, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-कें.मा.शि.सं., मुंबई ने अपने संस्थान का संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ. पी.एल. पाटिल, कुलपति, यूएएस, धारवाड और अन्य प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे। कार्यक्रम में संस्थान के सभी वैज्ञानिकों, अधिकारियों/ कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों के साथ-साथ कें.मा.शि.सं., मुंबई के वैज्ञानिकों ने भी भाग लिया।