Sorry, you need to enable JavaScript to visit this website.

निदेशक की कलम से

निदेशक महोदय द्वारा संदेश

1924 में स्थापित भा.कृ.अनु.प. – केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्रारंभिक संस्थानों में से एक है। कपास गुणवत्ता मूल्यांकन, कृषि अवशिष्ट प्रसंस्करण एवं मूल्य वर्धित उत्पादों के विकास में बुनियादी और रणनीतिक अनुसंधान के साथ उद्योग की जरूरतों के अनुरूप बेहतर उत्पादकता और गुणवत्तायुक्त प्रजातियों के विकास के लिये संस्थान द्वारा देश के कपास प्रजनन कार्यक्रम में महत्त्वपूर्ण तकनीकी सहयोग दिया जाता है। संस्थान को भारतीय मानक ब्युरो द्वारा गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली हेतु आइ.एस.ओ. 9001: 2015 प्राप्त हुआ है और सूती कपड़ों के लिए रेफरल प्रयोगशाला के रूप में कार्य करने के लिये संस्थान की सभी प्रयोगशालाएं राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) द्वारा गुणवत्ता परीक्षण प्रणाली हेतु आइएसओ: आइईएस 17025: 2005 से प्रमाणित हैं।

भारत में ओटाई (जिनिंग) उद्योग के आधुनिकीकरण में संस्थान ने सराहनीय योगदान दिया है। संस्थान ने नागपुर स्थित ओटाई प्रशिक्षण केंद्र द्वारा कपास प्रौद्योगिकी मिशन कार्यक्रम के मिनी मिशन IV के तहत जिनिंग उद्योग में कार्यरत तकनीकी कर्मियों के कौशल वर्धन में एक अहम भूमिका निभाई है। संस्थान द्वारा ओटाई क्षेत्र में किये गये अनुसंधान और विकास के परिणामस्वरूप देश में जिनिंग मशीनरी की पुख्ता श्रेणी विकसित हो गई है, जिससे यह जिनिंग मशीनरी के निर्माण में आत्मनिर्भर हो गई है।

संस्थान की अन्य सराहनीय उपलब्धियों में कपास-प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों का विकास और अन्य प्राकृतिक रेशों के साथ मिश्रणों, कंपोजिट और तकनीकी वस्त्रों का विकास, आद्र प्रसंस्करण में पर्यावरण-स्नेही प्रौद्योगिकियां और मूल्यवर्धित उप-उत्पादन निर्माण समाविष्ट हैं। संस्थान ने नैनोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी काम किया है। वर्ष 2015 में संस्थान द्वारा देश के पहले नैनोसेल्युलोस पायलट प्लांट की स्थापना की गई है जो ऊर्जा कुशल रसा-यांत्रिकी प्रक्रिया से संचालित होता है। संस्थान द्वारा विकसित सिरकॉट कैलिब्रेशन कॉटन; जो संस्थान की एक बानगी उपलब्धी है, को देश भर में सूत परीक्षण उपकरणों को कैलिब्रेट करने के लिए यूएसडीए अंशांकन कपास के विकल्प स्वरुप इस्तेमाल किया जाता है।

कपास क्षेत्र में मानव संसाधन विकास हेतु संस्थान अपने कौशल विकास कार्यक्रम के माध्यम से आवश्यकतानुरूप विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संस्थान ने चयनित अफ्रीकी देशों में कपास मूल्य श्रृंखला और मानव क्षमता उत्थान हेतु कपास तकनीकी सहायता कार्यक्रम लागू किये हैं। संस्थान द्वारा अपने हितधारकों को जिनिंग, बिनौला वैज्ञानिक प्रसंस्करण और वस्त्र एवं कृषि में नैनो प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग हेतु परामर्श सेवाएं भी प्रदान की जाती है। संस्थान सदैव भिन्न भिन्न सेवाओं के माध्यम से किसानों, लघु उद्योगों एवं मशीनरी निर्माताओं और संस्थानों के साथ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी संबंध बनाए रखता है।

संस्थान का कृषि-व्यवसाय सृजनन केंद्र संस्थानद्वारा विकसित की गई कपास चुनाई-उपरांत प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों पर आधारित नव उद्यम एवं स्टार्ट-अप को बढ़ावा देता है। संस्थान के कृषि-व्यवसाय सृजनन केंद्र को 2017-18 में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की अखिल भारतीय स्तर पर राष्ट्रीय कृषि विकास योजना-रफ्तार-कृषि व्यवसाय सृजनक (आरकेवीवाई-रफ्तार-एबीआई) परियोजना के लिये चयनित किया गया है जिसके अंतर्गत मूल्य श्रृंखला, फसल बाद आवश्यक बुनियादी ढांचे और कृषि उद्यम विकास में संस्थान द्वारा नवचारित उद्यम एवं स्टार्ट अप्स का सफलतापूर्वक सृजनन किया जा रहा है।

पिछले नौ दशकों की अनुसंधान यात्रा में संस्थान को 2004 में प्रतिष्ठित सरदार वल्लभाई पटेल उत्कृष्ट आईसीएआर संस्थान का पुरस्कार, अव्वल कृषि-व्यवसाय सृजनन कार्य हेतु 2013 में संस्थान के व्यवसाय योजना और विकास इकाई को पुरस्कार, कृषि अभियांत्रिकी और एन.आर.एम. विभाग के तहत 2013-14 के लिये उत्कृष्ट टीम अनुसंधान पुरस्कार, 2016 में आईसीएआर कैशलेस संस्थान पुरस्कार आदि कई पुरस्कारों और प्रशंसापत्रों से पुरस्कृत किया गया।

हाल ही में, संस्थान को एक बार फिर से 2019 के लिये प्रतिष्ठित सरदार वल्लभाई पटेल उत्कृष्ट आईसीएआर संस्थान पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार कपास चुनाई-पश्च प्रसंस्करण और उपोत्पादों के मूल्यवर्धन हेतु विभिन्न प्रौद्योगिकियों का अनुसंधान और विकास, कृषि व वस्त्रौद्योग क्षेत्र में मानव संसाधन का कौशल विकास, तात्कालिक वाणिज्यिक परीक्षण सेवा, विकसित प्रौद्योगिकियों का व्यवसायीकरण, स्टार्ट अप सृजनन और उद्यमिता विकास कार्यक्रमों द्वारा दिये गये महत्वपूर्ण योगदान के फलस्वरुप है।

कपास प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट अनुसंधान केंद्र के रुप में कार्य करने के साथ साथ यह संस्थान वर्तमान में भारत सरकार के मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया – स्टैंड अप इंडिया एवं आत्मनिर्भर भारत अभियानों के साथ जुड़कर कपास चुनाई-पश्च प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों, प्रक्रियाओं, मशीनों और उत्पादों के लिए समुचे विश्व में एकल केंद्र के रुप में उभरने के लिये कटिबद्ध है।

वापस शीर्ष पर